अंतरात्मा की आवाज
. किसी गांव के किनारे एक मंदिर था, मंदिर में एक साधु रहता था। गांव में एक चोर भी रहता
. किसी गांव के किनारे एक मंदिर था, मंदिर में एक साधु रहता था। गांव में एक चोर भी रहता
जय श्री राम भगवान भक्त के साथ तभी जाते हैं जब भक्त रात दिन भगवान के दर्शन के लिए तङफता
परमेश्वर से मिलाप करने का मौका केवल मनुष्य-जन्म में ही मिलता है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह
आत्म चिन्तन क्या है भगवान के एक भाव का चिन्तन करना।एक शब्द एक पंकती का अध्ययन करना उठते बैठते हुए
हमारे दिल में तृष्णा बढे तो प्रभु प्राण नाथ से प्रेम की परमात्मा से मिलन की हो। परम पिता परमात्मा
दिपावली का त्योहार है खुशियों की बहार है। दिपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय है ।हम शरीर रूप से तो
मनुष्य जीवन का सार भगवद्भक्ति है, और भक्ति का मूल आधार सत्संग है ।सत्संग सर्वोच्च चेतना प्रदान करता है ।सत्संग
प्रभु प्राण नाथ को हम महसुस कर सकते हैं। आनन्दित होते हैं भगवान के भाव में खो जाते हैं।
आत्म चिन्तन क्या है भगवान के एक भाव का चिन्तन करना।एक शब्द एक पंकती का अध्ययन करना अन्य सबकुछ परम
भगवान की पूजा, नमन और वन्दन करते हैं।भगवान का सिमरण आरती करते हैं यह सब नित्य हम शरीर से करते