भगवान का स्मरण
भगवान की पूजा, नमन और वन्दन करते हैं।भगवान का सिमरण आरती करते हैं यह सब नित्य हम शरीर से करते
भगवान की पूजा, नमन और वन्दन करते हैं।भगवान का सिमरण आरती करते हैं यह सब नित्य हम शरीर से करते
भगवान नाम की ध्वनि के उजागर करने के लिए हमे प्रातः काल जैसे ही नींद से जागे। ध्यान अन्तर्मन की
भगवान का नाम अन्तर्मन मे चल रहा है। भक्त भगवान को सांस से सिमरता हैं भक्त के दिल में इतनी
भक्त भगवान नाथ श्री हरि मे सिमट जाना चाहता है। दिल मे ठहर ठहर कर एक ही भाव उठता कैसे
भगवान नाम राम राम जय श्री राम जय श्री राम राम कृष्ण हरि। दीनबंधु दीनानाथ हे कृपा निधान मेरे कृष्ण
प्राणी के पास दिल और मन होता है। मन हर समय उठक पटक करता है। दिल मे प्रेम होता है।
घर घर सभी करे घर ना किसी का होय ।घर को सजाने मे प्राणी के लिए जिन्दगी छोटी पङ जाती
आत्मा परमात्मा के पास अकेले जाये तो कैसे जाए। आत्मा शरीर को कैसे भगवान नाथ श्री हरी की भक्ति से,
परमात्मा को प्रणाम है गुरु देव को प्रणाम प्रभु प्राण नाथ, आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है विश्वात्मा ।चेतन
आत्मा अन्तर्मन का विषय है परमात्मा सब में है।कण-कण में है वह परमात्मा हमारे जल्दी से पकङाई में इसलिए नहीं