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परमात्मा को प्रणाम है गुरु देव को प्रणाम प्रभु प्राण नाथ, आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है विश्वात्मा ।चेतन

परमात्मा को प्रणाम है गुरु देव को प्रणाम प्रभु प्राण नाथ, आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है विश्वात्मा ।चेतन

आत्मा अन्तर्मन का विषय है परमात्मा सब में है।कण-कण में है वह परमात्मा हमारे जल्दी से पकङाई में इसलिए नहीं

जगत में किसी का कोई अन्तर्मन का साथी नहीं है। हम पृथ्वी पर अपना साथी ढुढने आये हैं। हम पुजा

एक संन्यासी सारी दुनिया की यात्रा करके भारत वापस लौटा था | एक छोटी सी रियासत में मेहमान हुआ |उस

भगवान् के अन्दर हमे अपना जीवन देखना है। भगवान् मे हमे भगवान् का जीवन दिखना चाहिए। साधक कहता है कि

पत्थर दिल भी पिघल जाते हैं।एक भक्त के भगवान से भाव कहते हैं कि तु मुझे कैसे भी पुकार मै

परमात्मा को दिल में बिठा ले। हे प्रभु, हे स्वामी, हे भगवान् नाथ आज ये दिल तुमसे मिलने के लिए

एक भक्त की कर्म प्रधान साधना हैं। भक्त कर्म करते हुए जितना आनंद विभोर होता है । कर्म करते हुए