आत्मचिंतन (Aatmchintn)

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अपने आप को पढाते रहें

परमात्मा को प्रणाम है गुरु देव को प्रणाम प्रभु प्राण नाथ, आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है विश्वात्मा ।चेतन

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आत्मा का चिन्तन

आत्मा अन्तर्मन का विषय है परमात्मा सब में है।कण-कण में है वह परमात्मा हमारे जल्दी से पकङाई में इसलिए नहीं

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अन्तर्मन का साथी

जगत में किसी का कोई अन्तर्मन का साथी नहीं है। हम पृथ्वी पर अपना साथी ढुढने आये हैं। हम पुजा

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भगवान आ रहे

एक भक्त की कर्म प्रधान साधना हैं। भक्त कर्म करते हुए जितना आनंद विभोर होता है  । कर्म करते हुए

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