“राधा श्याम सुन्दर”
. श्री श्यामानंद प्रभु का जन्म सन् 1535ई. को चैत्र पूर्णिमा के दिन पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के अंतर्गत
. श्री श्यामानंद प्रभु का जन्म सन् 1535ई. को चैत्र पूर्णिमा के दिन पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के अंतर्गत
. एक साधु एक वृक्ष के नीचे ध्यान करते थे । वो रोज एक लकड़हारे को लकड़ी काट कर ले
|| श्रीहरी: || गोस्वामी तुलसीदासजी अपनी पत्नी से बड़ा प्रेम करते थे | दिन भर उससे वार्तालाप और साहचर्य करने
मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय अद्धितीय अतुलनीय अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ मैं वात्सल्य में हूँ भातृत्व में हूँ भक्ति में
.एक बार कबीर जी ने साहूकार से एक सौ रूपये लिए और साधू संतों पर खर्च कर दिए.. और इकरार
हरे कृष्ण प्रतिदिन आयु कम हो रही है, मृत्यु निकट आ रही है—इसे मत भूलें। मृत्यु के बाद आपके न
ब्रह्मकेतु नामक एक चोर मिथिला नरेश जनक के दरबार में हाजिर किया गया। राजा जनक ने कहा ब्रह्मकेतु, तुमने चोरी
भीतर के “मैं” का मिटना ज़रूरी हैएक बार सुकरात समुद्र तट पर टहल रहे थे| उनकी नजर तट पर खड़े
जय श्री राम नाम जप करें नाम जप को माला लेकर तो करे ही साथ नाम जप को अन्तर्मन मे
जब हम कहते हैं कि आत्मा का शरीर से कोई सम्बन्ध नही है, तो सहज मे ही एक शंका उठती