
निर्गुण निराकार भगवान 2
ये प्रेम जीवन भर हंसाता है जीवन भर रूलाता है। प्रभु प्रेमी अपने प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाता
ये प्रेम जीवन भर हंसाता है जीवन भर रूलाता है। प्रभु प्रेमी अपने प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाता
जय श्री राम परमात्मा हममें समाया हुआ है। यह कहने मात्र से बात नहीं बनती है। जब तक भगवान को
जब तक “मै” है तब तक इच्छाएं हैं। ये शरीर मेरा मै भगवान का भक्त हू। भगवान् मेरे है। इन
हिन्दुओं में 12 महिने व्रत और त्योहार है। हिन्दू धर्म की संस्कृति ही निराली है। हर त्यौहार पर जब हम
जय श्री राम प्रभु प्राण नाथ को प्रणाम है ।प्रणाम करना हमारी संस्कृति है। प्रणाम साधना है। हम प्रणाम परमात्मा
यदि आप भगवान की खोज में निकलते है। तो गुरु की सरण मे जाओ यह प्रथम चरण है। दूसरे चरण
मेरे प्रभु कब तुम मेरे सामने होंगे ।मै अपने आप को भुल जाऊंगी। शरीर शिथिल पङ जाएगा ।मै तुम्हारे चरणों
ये सुरज और चांद नहीं ये प्रभु का आभामंडल है। भगवान कृष्ण जल में झांकते है मस्तक पर चमकता प्रकाश
भगवान् कहते हैं कि तु मुझे पत्थर की मूर्ति में ढुढेगा तो तेरा दिल पत्थर जैसा कठोर बन जाएगा जङ
भगवान कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग में ज्ञानयोग भक्तीयोग को समझा रहे हैं। कर्म जब भगवान को भजते हुए समर्पित भाव