
तेरी प्रीत के सागर में मोती चुनकर लाऊगी।
मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना ही भक्त का जीवन है। जितने भगवान

मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना ही भक्त का जीवन है। जितने भगवान
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप

आत्मचिंतन करने के लिए समर्पण भाव का जागृत होना आवश्यक है परमात्मा के मै दर्शन कर लू परमात्मा कैसा है

बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी

मन की मलिनता दो प्रकार की होती है।स्थूल मलिनता साधारण साधन तप,व्रत,अनशन आदि से यह मलिनता दूर होती है,।सूक्ष्म मलिनता

हे परमात्मा राम मै आपकी वन्दना करती हूं एक भक्त परमात्मा राम के भाव मे कैसे वन्दना करता है हे

एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर

आत्मविश्वास जितना दृढ होगा उतना ही आपके शब्द आपके भीतर से निकले हुए होंगे। हम सैदव याद रखे यह मनुष्य

आत्म चिन्तन का अर्थ है हम अपने आप के नजदीक है हम जीवन में यह जान जाये मुझे परमात्मा ने
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे