[157]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम*महात्मा हरिदास जी का गोलोकगमन विनिश्चितं वदामि ते न चान्यथा वचंसि में।हरिं नरा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम*महात्मा हरिदास जी का गोलोकगमन विनिश्चितं वदामि ते न चान्यथा वचंसि में।हरिं नरा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनिन्दक के प्रति भी सम्मान के भाव क्षमा शस्त्रं करे यस्य दुर्जनः किं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु की अलौकिक क्षमा क्षमा बलमशक्तानां शक्तानां भूषणं क्षमा।क्षमा वशीकृतिर्लो के क्षमया किं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरीदास या कवि कर्णपूर जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा: कवीश्वरा:।नास्ति तेषां यश:काये जरामरणजं भयम्॥
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री शिवानन्द सेन की सहनशीलता न भवति भवति च न चिरंभवति चिरं चेत्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामगोपीनाथ पट्टनायक सूली से बचे अकाम: सर्वकामो वा मोक्षकाम उदारधी:।तीव्रेण भक्ति योगेन यजेत
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधन मांगने वाले भृत्य को दण्ड धनमपि परदत्तं दु:खमौचित्यभाजांभवति हृदि तदेवानन्दकारीतरेषाम्।मलयजरसविन्दुर्बाधते नेत्रमन्त-र्जनयति च
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामछोटे हरिदास को स्त्री-दर्शन का दण्ड निष्किंचनस्य भगवद्भजनोन्मुखस्यपारं परं जिगमिषोर्भवसागरस्य।संदर्शनं विषयिणामथ योषितांचहा हन्त
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रघुनाथदास जी का गृह त्याग गुरुर्न स स्यात् स्वजनो न स स्यात्पिता
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनीलाचल में सनातन जी वृन्दावनात् पुन: प्राप्तं श्रीगौर: श्रीसनातनम्।देहपातादवन् स्नेहाच्छुद्धं चक्रे परीक्षया।। श्री