
कृष्ण स्तुति
सुप्रभात गोपाल सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे!तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ! हे सत् चित्त आनंद! हे संसार की उत्पत्ति के

सुप्रभात गोपाल सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे!तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ! हे सत् चित्त आनंद! हे संसार की उत्पत्ति के

आध्यात्मिक विचारकृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! ✨ उनकी श्रेष्ठता, कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए असंभव सी

यशोदाजी शिवजी के पास आई है औए कहने लगी -महाराज -अगर भिक्षा कम लगती हो मै आपको कम्बल और कमंडल

शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात, भगवान श्री कृष्ण, अपने सबसे प्रिय भक्तों, वृंदावन की गोपियों के साथ अपने सबसे

बर्बरीक (खाटूश्याम) घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते थे. बर्बरीक भगवान शिव के एक बड़े भक्त थे. तपस्या और

जिस प्रकार सोना 18 कैरेट का भी होता है 20 कैरेट का भी होता है 22 का भी होता है

.एक बार कान्हा अपनी सखा मण्डली के साथ वन में खेल रहे थे। सभी सखा अपने सखा कान्हा के साथ

श्रीदामा का मिलन हुआ कन्हैया से ……..दोनों के आनन्द का कोई ठिकाना नही था ……..ये नया सखा मिला था ….वैसे

ठाकुरजी की ये लीला बडी ही मनमोहक है नंदलाल ने सुबह ही टेरकंदब पर अपने सभी मित्रों को बुलाया और

एक बार की बात है, पांच सखियाँ थीं, पांचो श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं. एक दिन वे वन में