
अलौकिक माखन लीला
एक दिन कान्हा जी छुपते छुपाते एक गोपी के घर में प्रवेश हुए। चारो तरफ माखन की मटकी ढुंढ रहे
एक दिन कान्हा जी छुपते छुपाते एक गोपी के घर में प्रवेश हुए। चारो तरफ माखन की मटकी ढुंढ रहे
जय गोपाल, नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपंलसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम् ।यशोदाभियोलूखलाद्धावमानंपरामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ।।१।। रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तंकराम्भोज-युग्मेन सातंकनेत्रम्।मुहु:श्वास कम्प-त्रिरेखामकण्ठस्थित ग्रैव-दामोदरं भक्तिबद्धम् ।।२।। इतीदृक्
काल हू को काल लोकपाल हू को पालनहारो,सबकौ नियंता सदा रहत सुतंत्र है ।ब्रह्मा सिव विष्णु सेष जोगी जन जतन
गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में प्रीति पूर्वक
बैठी है झरोखे प्यारी कुंज भवन मोंमहलु न पावे पीय ठाढे दरसन कों ।उजारी तें उजारी माथे माँग सोहे गंगा
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
शुभ्र पूर्णिमा की शुभ्र चँद्ररजनी थी चँद्रअमृत भरी ! उतरी शुभ्र चँद्रकमल से थी जैसे कोई शुभ्र चँद्रपरी!! जब नीलम
श्री राधा विजयते नमः मैं जप करुंगी तो उनकी स्मृति मिल जायेगी,ध्यान करुंगी तो उनका रुप मेरे हृदय में आ
भक्ति रस से ओतप्रोत कथाकुन्ती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री,वसुदेवजी और सुतसुभा की बड़ी बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ