कृष्णावतार में किस देवता ने लिया कौन-सा अवतार
यह प्रसंग अथर्ववेद के श्रीकृष्णोपनिषत् से उल्लखित है । श्रीकृष्ण के परिकर के रूप में किस देवता ने क्या भूमिका
यह प्रसंग अथर्ववेद के श्रीकृष्णोपनिषत् से उल्लखित है । श्रीकृष्ण के परिकर के रूप में किस देवता ने क्या भूमिका
एक बार तुलसी दास जी वृन्दावन आये .वहॉ पर वह नित्य ही बिहारी जी के दर्शन को जाते थे.मंदिर में
.नंदग्राम के पावन सरोवर के तीर पर श्री सनातन गोस्वामीपाद की भजन-कुटी में श्री गौरदास बाबा जी भजन करते थे।.वे
भगवान श्री कृष्ण कि दो पत्नियाँ बताई गई है – एक तो श्री देवी और दूसरी भू देवी, जब भगवान
श्री कृष्ण कृपा करोजीवन बने महानमैं पतित पावन बनूँमेरा कोटि कोटि प्रणामप्रातः समय उठ नींद सेप्रथम धरूँ तेरा ध्यानफिर दिन
वृन्दावन का एक भक्त ठाकुर जी को बहुत प्रेम करता था, भाव विभोर हो कर नित्य प्रतिदिन उनका श्रृंगार करता
श्री राधा रमण लाल जू का चमत्कार वृंदावन मे बिहार से एक परिवार आकर रहने लगा.. राजू वृंदावन मे रिक्शा
हे श्यामसुंदर ! हे गोपेश ! हम तुम्हारी अशुल्क दासी हैं। तुम्हारे बिना हमारा कोई मोल नही है , कोई
यशोदा माँ के होइ लाल बधाई सारे भक्ता ने, बधाई सारे भगता ने बधाई सारे भक्ता ने,बाजो रे बाजो देखो
श्याम तन श्याम मन श्याम ही है हमारो धन,आठों याम ऊधो हमे श्याम ही सों काम है।हे श्यामसुंदर रोम रोम