
“वृंदावन बिहारीलाल का हिसाब”
एक बार मैं ट्रेन से आ रहा था, मेरी साथ वाली सीट पर एक वृद्ध औरत बैठी थी जो लगातार
एक बार मैं ट्रेन से आ रहा था, मेरी साथ वाली सीट पर एक वृद्ध औरत बैठी थी जो लगातार
श्री रूप गोस्वामी जी पर राधाकृष्ण की कृपा की वृष्टिनिरन्तर बनी रहती थी।उन्हें प्राय: हर समय उनकी मधुर लीलाओं की
एक भागवत कथा वाचक ब्राह्मण गांव में कथा वांच रहे थे। उस दिन उन्होंने नंदलाल, कन्हैया के सौंदर्य, उनके आभूषणों
यह बहुत पुराने समय की बात है । एक गांव में एक सेठजी रहते थे । वह श्रीकृष्णजी के परम
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे ,कितना अद्भुत दृश्य है
. एक बार की बात है महाभारत के युद्ध के बाद भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन द्वारिका गये पर
होंठो ने आपका ज़िक्र न किया परमेरी आंखे हर पल आपका पैग़ाम देती है।हम दुनियाँ’ से छुपायें कैसेहर शायरी आपका
‘ज्ञान के द्वारा जिनकी चिज्जन्ग्रंथी कट गयी है, ऐसे आत्माराम मुनिगण भी भगवान् की निष्काम भक्ति किया करते हैं, क्योंकि
यह निश्चित हो गया की प्राण प्रतिष्ठा के बाद निश्चित ही ठाकुर जी विग्रह में आ जाते हैं। एक दिन
सम्भालो दास को दाता ,मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।ना जाने आज क्यों फिर से,तुम्हारी याद आई है ।। नजर