मीरा चरित भाग- 48
आज महाराणा साँगा का मुख प्रसन्नता से खिल उठता था।अस्सी घावों भरी देह, एक हाथ, एक पाँव और एक आँख
आज महाराणा साँगा का मुख प्रसन्नता से खिल उठता था।अस्सी घावों भरी देह, एक हाथ, एक पाँव और एक आँख
आप सभी को सपरिवार चैत्र नवरात्र की हृदयस्त अनंत शुभकामनाएँ.!!🌹🙏🏻
ऐसी सत्य घटना साझा कर सकते हैं, जिसे पढ़ते ही हृदय भगवान के लिए व्याकुल हो जाये?दिनांक: 1 नवंबर 1979समय:
आखिर विदाई का दिन भी आया। चारों ओर दहेज जमा करके बीच में पलंग पर मीरा और भोजराज को बिठाया
उगते हुए सूर्य को जल देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है | बहुत से लोग आज भी
भाणेज बावजी (जयमलजी) ने केवल कटार से आखेट में झुंड से अलग हुए एकल सुअर को पछाड़ दिया। हमारे महाराज
किसी ने सही ही कहा है कि भगवान के पांव में स्वर्ग होता है। उनके चरणों जैसी पवित्र जगह और
एक बार कृष्ण के सखा उद्धव जी जो ज्ञान और योग सीख कर उसकी महत्ता बताने में लगे थे तब
।। हनुमानजी श्रीरामायण के मुख्य पात्रों में से, प्रभु राम के अनन्य सेवक भक्त, वेदाध्यायी, राक्षस संहारी वानर देश के
इन चूड़ियों में से, जो कोहनी से ऊपर पहनी जाती हैं उन्हें खाँच कहते हैं) गलेमें तमण्यों (यह भी ससुराल