भगवान (Bhagvan)

मीरा चरित भाग- 48

आज महाराणा साँगा का मुख प्रसन्नता से खिल उठता था।अस्सी घावों भरी देह, एक हाथ, एक पाँव और एक आँख

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मीरा चरित भाग- 47

आखिर विदाई का दिन भी आया। चारों ओर दहेज जमा करके बीच में पलंग पर मीरा और भोजराज को बिठाया

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मीरा चरित भाग- 46

भाणेज बावजी (जयमलजी) ने केवल कटार से आखेट में झुंड से अलग हुए एकल सुअर को पछाड़ दिया। हमारे महाराज

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मीरा चरित भाग- 45

इन चूड़ियों में से, जो कोहनी से ऊपर पहनी जाती हैं उन्हें खाँच कहते हैं) गलेमें तमण्यों (यह भी ससुराल

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