
जब श्रीराधा जी ने कराया माता यशोदा जी से अपना श्रृंगार
श्री राधा विजयते नमःअपनी माता कीर्ति जी से सखियों संग खेलने का बहाना कर, श्री राधा जी, श्री कृष्ण से

श्री राधा विजयते नमःअपनी माता कीर्ति जी से सखियों संग खेलने का बहाना कर, श्री राधा जी, श्री कृष्ण से

एक बार कृष्ण के सखा उद्धव जी जो ज्ञान और योग सीख कर उसकी महत्ता बताने में लगे थे तब

एक बार राधाजी कई दिनों तक कृष्णजी से नहीं मिली तो उनके वियोग में अर्धमूर्छित हो गई।सभी सखियो को पता

क्या आज भी यहाँ रात्रि में रासलीला होती है? गीताप्रेस गोरखपुर में पूज्यश्रीहरि बाबा महाराज की एक डायरी रखी है

रास मध्य ललिता जु प्रार्थना जु कीनी।कर ते सुकुमारी प्यारी वंशी तब दिनी।। एक समय जब नित्य रास परायण श्री

प्रेम ही समर्पण है। जिसने प्रेम किया हो और उसे समर्पण न आया हो,उसका जीवन ही व्यर्थ है।वो प्रेम ही

एक समय की बात है, जब किशोरी जी को यह पता चला कि कृष्ण पूरे गोकुल में माखन चोर कहलाता

गोपियाँ श्रीकृष्ण की स्वकीया थीं या परकीया, यह प्रश्न भी श्रीकृष्ण के स्वरूप को भुलाकर ही उठाया जाता है। श्रीकृष्ण

हे वृषभानुराज-नन्दिनि ! हे अतुल प्रेम-रस-सुधा-निधान !गाय चराता वन-वन भटकूँ, क्या समझूँ मैं प्रेम विधान ॥ग्वाल-बालकों के सँग डोलूँ, खेलूँ

‘वन की शोभा देख ली अब बच्चों और बछड़ों का भी ध्यान करो। धर्म के अनुकूल मोक्ष के खुले हुए