
श्री कृष्ण को प्राणों से भी अधिक प्रिय हे रासेश्वरि
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।। रासमण्डल में निवास करने वाली हे परमेश्वरि ! आपको नमस्कार है। श्री कृष्ण को

नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।। रासमण्डल में निवास करने वाली हे परमेश्वरि ! आपको नमस्कार है। श्री कृष्ण को

राधे राधे ,,,एक बार निकुंज में स्वामिनी जू के मन इच्छा जाग्रत हुई कि प्रियतम चलो लुका-छिपी खेलेंगे ,खुला मैदान

“सुर रखवारी सुर राज रखवारी,शुक शम्भु रखवारी रवि चन्द्र रखवारी है।”श्री राधा सभी स्वर्गीय देवताओं की रक्षक हैं और वास्तव

किशोरी, मोहि देहु वृन्दावन वास ।कर करवा हरवा गुंजन के, कुंजन माँझ निवास ॥नित्यबिहार निरखि निसि वासर, छिन छिन चित्त

श्री राधा रानी जी कृपा से परिपूर्ण हैं। करुणा तो किसी के भी ह्रदय में जागृत हो सकती है मगर

राधे राधेजय श्री कृष्णाएक कथा के अनुसार, ब्रह्माजी द्वारा वरदान प्राप्त कर राजा सुचंद्र एवं उनकी पत्नी कलावती कालांतर में

रा + धा=राधा‘रा’ से बीज मन्त्र ‘धा’ से धारणा की होती सिद्धि, और होती शुकदेव की समाधि अनायास है।मेरी रसना

श्री कृष्णप्राणेश्वरी श्री किशोरी जु माधुर्य सार सर्वस्व की अधिष्ठात्री है । अर्थात माधुर्य जो भी है वह उनकी कृपा

“बरसाना”बरसाने की पीली पोखर से प्रेम सरोवर जाने वाले रास्ते से कुछ हटकर वन प्रांत में एक पुराना चबूतरा है।

एक संत थे वृन्दावन में रहा करते थे, श्रीमद्भागवत में बड़ी निष्ठा थी उनकी, उनका प्रतिदिन का नियम था कि