भगवान सब जानता है
हम भगवान पर पूर्ण विशवस करे। रामजी और कृष्णजी को हम भगवान कहते है लेकिन पूर्ण रूप से भगवान पर
हम भगवान पर पूर्ण विशवस करे। रामजी और कृष्णजी को हम भगवान कहते है लेकिन पूर्ण रूप से भगवान पर

जब छोड़ चालू इस दुनिया को, होंठो पे नाम तुम्हारा हो,चाहे स्वर्ग मिले या नरक मिले, हृदय में वास तुम्हारा

मै प्रथम राम राम मेरे भगवान तुमको करती हूं। हे परमात्मा तुम मेरी आत्मा के स्वामी हो। हे परम पिता
ओ हरि जी, चरन कमल बलिहारी ओ हरि जीजेहि चरनन से सुरसरि निकली,सारे जगत को तारी ।जेहि चरनन से तरी

क्रोध जगाने का मार्ग है नव निर्माण का मार्ग है अन्दर झांकने की स्टेज है। क्रोध की अग्नि में अरमान

सुर की देवी शारदे, नमामि माता वारदे |सुख दुख दोनों है सगे, मृदु वाणी वीणा लगे ||तन सरवर मन हंस

मैं उत्थान में हूं, मैं उत्कृष्टता में हूं मैं आशा में हूं, मैं उपकार में हूं मैं निष्कपट में
लय-स्वर पर नाचे मन मेराअन्दर का कर दूर अंधेराआये अनुपम सुखद सवेरा माता सरस्वती, माता सरस्वती, वीणा के सब तार

सतसंग वाली नगरी चल रे मना,पी ले राम जी के चरणों का तूं जल रे मना,चल रे मना, चल रे

दिन-रजनी, तरु-लता, फूल-फल, सूर्य-सोम, झिलमिल तारे।प्रतिपल, प्रति पदार्थमें तुम मुझको देते रहते प्यारे॥ कितना दिया, दे रहे कितना, इसका मिलता