कार्तिक माह माहात्म्य अध्याय – 25*
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पच्चीसवां अध्याय लिखे यह दास * तीर्थ में दान और व्रत आदि सत्कर्म करने
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पच्चीसवां अध्याय लिखे यह दास * तीर्थ में दान और व्रत आदि सत्कर्म करने
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास चौबीसवां अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु बोले :-हे मुनिश्रेष्ठ! आपने तुलसी के इतिहास,
. भगवान श्री राम लक्ष्मण और सीता जी पिता दशरथ जी की आज्ञा से वनवास जाने लगे।
एक राजा की लड़की तारा भोजन करती थी। उसने अपने पिताजी से कहा, पिताजी मुझे नौ लाख तारे बनवा
. एक समय की बात है किसी नगर में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था और उसकी सात बहुएँ
हमारे घर-आगंन में जिनकी उपस्थिति मात्र से सभी दुःख अपने आप दूर हो जाते हैं ऐसी पूज्यनीय तुलसी को नित्य
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास बाइसवां अध्याय लिखे यह दास** *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे
सूखे भोगे जो कथा सुने विश्वास तेइसवा़ अध्याय लिखे यह दास** *नारद जी बोले: –* हे राजन! यही कारण है
अब राजा पृथु ने पूछा–हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस
उस समय शिवजी के गण प्रबल थे और उन्होंने जलन्धर के शुम्भ-निशुम्भ और महासुर कालनेमि आदि को