
आपदुद्धारक हनुमत्स्तोत्रम्
ॐ अस्य श्री आपदुद्धारक हनुमत् स्तोत्र महामन्त्र कवचस्य, विभीषण ऋषिः, हनुमान् देवता, सर्वापदुद्धारक श्रीहनुमत्प्रसादेन मम सर्वापन्निवृत्त्यर्थे, सर्वकार्यानुकूल्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।।
ॐ अस्य श्री आपदुद्धारक हनुमत् स्तोत्र महामन्त्र कवचस्य, विभीषण ऋषिः, हनुमान् देवता, सर्वापदुद्धारक श्रीहनुमत्प्रसादेन मम सर्वापन्निवृत्त्यर्थे, सर्वकार्यानुकूल्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।।
राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र भगवान शिव द्वारा रचित और देवी पार्वती से बोली जाने वाली राधा कृपा कथा श्रीमती राधा
देवी राधा रचित इस श्रीकृष्ण स्तोत्र का पाठ जो भी प्राणी तीनों कालों में करता है वह कृष्ण की प्रीति
श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदार सर्वापत्तीनिवारण।ऋषिकेश नमस्तुभ्यं त्राहि
गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद
नारद उवाचप्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।।१।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।२।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव
श्रीभगवानुवाच।ऒँ नमो भगवते महा पुरुषायसर्वगुणसङ्ख्यानायानन्तायाव्यक्ताय नम इति।।१।। भजे भवान्या रणपादपङ्कजंभगस्य कृत्स्नस्य परं परायणम।भक्तेष्वलं भावितभूतभावनंभवापहं त्वा भवभावमीश्वरम।।२।। न यस्य मायागुणचितवृत्तिभिर्निरीक्षतो ह्यण्वपि
। स्कंदपुराण, काशीखण्ड तथा शिवमहापुराण रुद्रसंहिता के अनुसार भृगुनन्दन शुक्र ने काशी में शुक्रेश्वर महादेव की स्थापना की। भगवान् विश्वनाथ
।। १- मंत्र-ॐ ऐं हुं चतुर्थ स्वाहा।एक माला मूंगा माला से करें। २- मंत्र-ॐ गणेश ऋणं छिंन्दि वरेण्यं हुं नम:
हनुमानजी के इन १२ नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने