
विक्रमकी जीव दया
महाराज विक्रमादित्य प्रजाके कोंका पता लगानेके लिये प्रायः अकेले घूमा करते थे। एक बार वे घोड़ेपर चढ़कर एक वनमेंसे जा

महाराज विक्रमादित्य प्रजाके कोंका पता लगानेके लिये प्रायः अकेले घूमा करते थे। एक बार वे घोड़ेपर चढ़कर एक वनमेंसे जा

फ्रांसकी विशाल सेनाने स्पेनके जारगोजा नगरको घेर लिया। नागरिकोंने प्राणरक्षाका कोई उपाय न देखकर किलेमें एकत्र होना उचित समझा। आक्रमणकारियोंने

भगवान्को पानेकी योग्यता श्रीलालाबाबूका असली नाम था श्रीकृष्णचन्द्र सिंह। उनके पिता प्राणकृष्णके पास बड़ी जमींदारी थी 1 और वे पूर्वी

देवराज इन्द्र अपनी देवसभामें श्रेणिक नामके राजाके साधु-स्वभावकी प्रशंसा कर रहे थे। उस प्रशंसाको सुनकर एक देवताके मनमें राजाकी परीक्षा

प्रत्येक बातकी एक सीमा होती है। कन्याकी अवस्था बढ़ती जा रही थी। महाराजको लोक-निन्दाका भय था। लोग कानाफूसी करने भी

कर्कटे पूर्वफाल्गुन्या तुलसीकाननोद्भवम्। । पाण्ड्ये विश्ववरां कोदां वन्दे श्रीरङ्गनायकीम् ॥ पुष्प – चयन करते समय प्रातः काल श्रीविष्णुचित्तने तुलसीकाननमें एक

एक दिन एक सिंधी सज्जन किसी कामनासे संत मथुरादासजीको खोजता हुआ उनके पास आया और अशर्फियोंकी थैली सामने रखकर अपनी

मालिककी कृपाको दूसरे सेवकगण सहन नहीं कर पाते दक्षिणमें महिलारोप्य नामकी नगरी थी। वहाँ वर्धमान नामका धनिक रहता था। पूर्णरूपसे

फ्रान्सके प्रसिद्ध संत इवोहिलारीका समस्त जीवन दैन्यका प्रतीक था। तेरहवीं शताब्दीके यूरोपके इतिहासमें उनका नाम अमर है। अपने निवासस्थान ब्रिटनी

धन कुबेरके दो पुत्र थे- नलकूबर और मणिग्रीव कुबेरके पुत्र, फिर सम्पत्तिका पूछना क्या। युवावस्था थी, यक्ष होनेके कारण अत्यन्त