
महिलाओं की गरिमा
छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में कभी भी किसी औरत का नाच गाना नहीं होता था, महिलाओं का हमेशा सम्मान
छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में कभी भी किसी औरत का नाच गाना नहीं होता था, महिलाओं का हमेशा सम्मान
एक नट था , मदारी , वो लोगों के मनोरंजन के लिए करतव दिखाया करता था और अपना जीविका चलाता
सुदामा का स्नान भोजनादि सब हो चुका था, श्रीकृष्ण अब अपने इस सखा का प्रेम से हाथ पकडे वहाँ ले
विष्णु जी ने दिया था लक्ष्मी जी को श्रापदेवी भागवत पुराण के छठे स्कंद में श्री हरि विष्णु और मां
एक संत थे, वे भगवत भाव में रहते हुए व भक्ति प्रसाद बांटते हुए गाँव गाँव शहर शहर भ्रमण करते
एक बार श्रीकृष्ण और राधा जी निधिवन में रात्रि में सभी गोपियों के साथ हास परिहास कर रहे थे। राधा
यशोदाजी शिवजी के पास आई है औए कहने लगी -महाराज -अगर भिक्षा कम लगती हो मै आपको कम्बल और कमंडल
बाह्य पूजा को कई गुना अधिक फलदायी बनाने के लिए शास्त्रों में एक उपाय बतलाया गया है, वह है–मानसी-पूजा। वस्तुत:
राधे राधे राधे राधे राधे राधे जय श्री कृष्णा एक दिन एक सन्त के घर रात चोर घुसे। घर में
. महानगर के उस अंतिम बस स्टॉप पर जैसे ही कंडक्टर ने बस रोक दरवाज़ा खोला, नीचे खड़े एक देहाती