
“ब्रह्म जिज्ञासा”
पूज्य सद्गुरुदेव जी ने कहा – सचराचर जगत् में सर्वत्र सभी नाम रूपों में ब्रह्म भाव से अवस्थित माँ ब्रह्मचारिणी
पूज्य सद्गुरुदेव जी ने कहा – सचराचर जगत् में सर्वत्र सभी नाम रूपों में ब्रह्म भाव से अवस्थित माँ ब्रह्मचारिणी
|| श्री हरि: || चन्द्रमा अमृतमय है, उसमे शान्ति मानो चू रही है | इसी तरह भगवान् में गुण हैं,
एक चोर चोरी के इरादे से खिड़की की राह, एक घर में घुस रहा था। खिड़की की चौखट के टूटने
“वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।
एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तभ तीनों देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श
आधुनिक जापान के ज़ेन शिक्षक एक प्रसिद्ध गुरु के वंश से आते हैं जो गुडो का शिष्य था। उसका नाम
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से ऐसे गूढ़ ज्ञान देने का अनुरोध किया जो संसार में किसी भी
राजा दशरथ के मुख से अन्तिम शब्द राम -राम -राम -राम -राम -राम था । छह बार राम शब्द दशरथ
एक मूर्तिकार एक रास्ते से गुजरा और उसने संगमरमर के पत्थर की दुकान के पास एक बड़ा संगमरमर का पत्थर
एक सच्चा भक्त जिसके दिल मे भगवान समा जाते हैं। वह सब कथा और पाठ को छोड़ देता है जिस