लाला बाबू भाग – 9
गतांक से आगे – दीक्षा लेने के बाद लाला बाबू का भावोन्माद और बढ़ रहा था …लोग मिलने के लिये
गतांक से आगे – दीक्षा लेने के बाद लाला बाबू का भावोन्माद और बढ़ रहा था …लोग मिलने के लिये
गतांक से आगे – भावावेश में लाला बाबू ने – हा कृष्ण , हा कृष्ण , हा कृष्ण …कहते हुए
गतांक से आगे – सर चॉर्ल्ज़ मेटकोफ ने लालाबाबू को गिरफ़्तार करके रातों रात दिल्ली तो बुलवा लिया ..पर मथुरा
गतांक से आगे – लाला बाबू भीषण अंतर्द्वंद्व से घिरे हुये हैं ….आज पाँच दिन हो गये इन्हें नींद कहाँ
गतांक से आगे – एक दिन – लाला बाबू पालकी में बैठ कर जा रहे हैं …उनके आगे पीछे नौकर
गतांक से आगे – गंगागोविन्द सिंह ये दादा जी हैं बालक कृष्णचन्द्र सिंह के ….बहुत लाढ प्यार में पला है
“मैं लाला बाबू ….अपनी वसीयत लिख रहा हूँ ….और इसी कामना से लिख रहा हूँ कि मेरी बातों का अक्षरशः
गतांक से आगे – पढ़े लिखे थे ही लाला बाबू ….और उन दिनों उड़ीसा राज्य अंग्रेजों के अधिकार में था
गतांक से आगे – “लाला ! ऐसा मन्दिर बना जिससे तेरा अहंकार क्षीण हो ….इस मन्दिर के निर्माण से तो
गतांक से आगे – सर चॉर्ल्ज़ मेटकोफ ने लालाबाबू को गिरफ़्तार करके रातों रात दिल्ली तो बुलवा लिया ..पर मथुरा