
राजा जनक ने, अष्टावक्र जी से तीन प्रश्न किए
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद राजा जनक ने, अष्टावक्र जी से तीन प्रश्न किएवैराग्य केसे हो?ज्ञान की प्राप्ति केसे

हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद राजा जनक ने, अष्टावक्र जी से तीन प्रश्न किएवैराग्य केसे हो?ज्ञान की प्राप्ति केसे

हरि ॐ तत्सत जय सच्चिदानंद घन कभी रात के दो बजे छत पर जाकर देखोएक बार संसार पर दृष्टी डालोये

न जन्म तुम्हारे हाथ में न मृत्यु तुम्हारे हाथ मेंन भूख न प्यास,न नींद तुम्हारे हाथ में ,इसे तुम रोक

आज भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है।तङफ बढने पर दर्शन का मजा ही कुछ ओर

शरीर तो एक ही है हम जिन्दगी भर यह सोचते हैं अन्य विशेष है अन्य मुझे बहुत सुख देगा।अन्य के

“कुछ हासिल करने के लिए जरूरी नही कि हमेशा दौड़ा जाए…..कुछ चीजें ठहरने से भी प्राप्त होती हैं जैसे सुख,

हमने बहुत से जन्मदिन मनाए बहुत सी शादी की वर्षगांठ मनायी जिस दिन जन्मदिन और वर्षगांठ होती है उस दिन

जब एक पानी की टंकी के पानी को जो कई टोंटियों या नलों में से बह रहा है, सब नल

हमें सम्बन्ध और सम्बन्धी को समझना है सम्बन्धी हमारी आत्मा का है हम जीवन भर घर परिवार और समाज के

हम जीवन भर घर परिवार और समाज के साथ सम्बन्ध बनाते और निभाते हैं। प्रत्येक सम्बन्ध में प्रेम भाईचारे का