श्रीचैतन्य महाप्रभु जी का स्पर्श पाते ही पद्मा नदी में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं।
बात उन दिनों की है जब यशोदा-नन्दन भगवान श्रीकृष्ण, श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के रूप में पृथ्वी पर आये हुये थे। उनके
बात उन दिनों की है जब यशोदा-नन्दन भगवान श्रीकृष्ण, श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के रूप में पृथ्वी पर आये हुये थे। उनके
((अन्तिम पोस्ट))।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधे श्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री चैतन्य–शिक्षाष्टक प्रमोद्भवतिहर्षेर्षोद्वेगदैन्यार्तिमिश्रितम्।लपितं गौरचन्द्रस्य भाग्यवद्भिर्निषेव्यते।। महाप्रभु श्री गौरांगदेव ने संन्यास लेने
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु के वृन्दावनस्थ छ: गोस्वामिगण रुद्रोअद्रिं जलधिं हरिर्दिविषदो दूरं विहायाश्रिता:भागीन्द्रा: प्रबला अपि प्रथमत:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामठाकुर नरोत्तमदास जी लोकनाथप्रियं धीरं लोकातीतं च प्रेमदम्।श्रीनरोत्तमनामाख्यं तं विरक्तं नमाम्यहम्।। पद्मा नदी
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री श्री निवासाचार्य जी गौरशक्तिधरं सौम्यं सुन्दरं सुमनोहरम्।गोपालनुगतं विज्ञं श्रीनिवासं नमाम्यहम्।। आचार्य श्री
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीमती विष्णुप्रिया देवी गौरशक्तिं महामायां नवद्वीपनिवासिनीम्।विष्णुप्रियां सतीं साध्वीं तां देवीं प्रणतोऽस्म्यहम्। यह विश्व
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु का अदर्शन अथवा लीलासंवरण अद्यैव हसिंतं गीतं पठितं यै: शरीरिभि:।अद्यैव ते न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसमुद्रपतन और मृत्युदशा शरज्ज्योत्स्नासिन्धोरवकलनया जातयमुनाभ्रमाद्धावन् योऽस्मिन् हरिविरहतापार्णव इव।निमग्नो मूर्च्छात: पयसि निवसन् रात्रिमखिलांप्रभाते प्राप्त:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री अद्वैताचार्य जी की पहेली एतावानेव लोकेऽस्मिन् पुंसां धर्म: पर: स्मृत:।भक्तियोगो भगवति तन्नामग्रहणादिभि:।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामशारदीय निशीथ में दिव्य गन्ध का अनुसरण कुरंगमदजिद्वपु:परिमलोर्मिकृष्टांगन:स्वकांगनलिनाष्टके शशियुताब्जगन्धप्रथ:।मदेन्दुवरचन्दनागुरुसुगन्धिचर्चार्चित:स मे मदनमोहन: सखि तनोति