कथा नाम स्मरण में प्रीति
गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में प्रीति पूर्वक
गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में प्रीति पूर्वक
बैठी है झरोखे प्यारी कुंज भवन मोंमहलु न पावे पीय ठाढे दरसन कों ।उजारी तें उजारी माथे माँग सोहे गंगा
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
शुभ्र पूर्णिमा की शुभ्र चँद्ररजनी थी चँद्रअमृत भरी ! उतरी शुभ्र चँद्रकमल से थी जैसे कोई शुभ्र चँद्रपरी!! जब नीलम
श्री राधा विजयते नमः मैं जप करुंगी तो उनकी स्मृति मिल जायेगी,ध्यान करुंगी तो उनका रुप मेरे हृदय में आ
भक्ति रस से ओतप्रोत कथाकुन्ती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री,वसुदेवजी और सुतसुभा की बड़ी बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ
जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है, उसे फिरकिसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और जन्म कुंडली
एक बार बरसाने में एक वृजबसी के बेटे की शादी हुई, वो वृजबसिन् ने सबको बुलाया पर राधा रानी को
एक समय की बात है, जब किशोरी जी को यह पता चला कि कृष्ण पूरे गोकुल में माखन चोर कहलाता