मीराबाई (Meerabai)

मीरा चरित भाग- 90

गंगा दौड़कर कलम कागज ले आई।‘अभी की अभी’- मीरा ने हँसकर कहा।‘हाँ हुकुम, शुभ काम में देरी क्यों?’‘ला दे, पागल

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मीरा चरित
भाग- 91

यह थोड़ी सी दक्षिणा है। इसे स्वीकार करने की कृपा करें।’- मीरा ने उन्हें भोजन कराकर तथा दक्षिणा देकर विदा

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मीरा चरित भाग- 79

महाराणा ने पहले तो समझा कि नखरे कर रहा है, किंतु जब गर्दन ढल गई तो उनके मुख से निकला-

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मीरा चरित भाग- 78

उदयकुँवर बाईसा का आश्चर्य उनके हृदय को मथे जा रहा था। भजन पूरा होने पर मीरा ने धोक दी।हृदय का

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मीरा चरित भाग- 75

उस दिन मीरा मन्दिर में नहीं पधारी।रसोई बंद रही। दासियों के साथ समवेत स्वर में कीर्तन के बोलों से महल

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मीरा चरित भाग- 54

‘आपकी चालाकी नहीं चलेगी सरकार, झूला रुकने से पूर्व ही कूद पड़तें हैं आप, इसलिए चढ़ते झूले पर ही नाम

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मीरा चरित भाग- 74

मीरा ने स्त्रियों की ओर दृष्टि फेरी- ‘तुम दुर्गा और चामुण्डा का स्वरूप हो।बिना मन के कोई हाथ तुम्हें कैसे

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मीरा चरित भाग- 72

उस छोटी सी आयु में ही वे न्यायासन पर बैठते तो बाल की खाल उतार देते।बैरी को मोहित कर लें

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मीरा चरित भाग- 71

ईडरगढ़ से आपके जवाँई पधारे हैं, यह तो आपने सुन ही लिया होगा।अब आपके कारण मुझे कितने उलाहने, कितनी वक्रोक्तियाँ

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मीरा चरित भाग- 70

वे पिता को अपनी निधि दिखाना चाहते थे, समझाना चाहते थे।वे चाहते थे कि जो उन्हें मिला, वह सबको मिले,

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