एक राम नाम की महिमा
एक बार महाराज दशरथ राम आदी के साथ गंगा स्नान के लिये जा रहे थे । मार्गमें देवर्षि नारदजी से
एक बार महाराज दशरथ राम आदी के साथ गंगा स्नान के लिये जा रहे थे । मार्गमें देवर्षि नारदजी से
(जब बाली और सुग्रीव शत्रु बन गए – हनुमान) प्रीति रही कछु बरनी न जाई…(रामचरितमानस) भरत भैया ! पर इन
( किष्किन्धा का बाली ) बाली महाबल अति रनधीरा…(रामचरितमानस) किष्किन्धा को एक “वानर राज्य” कह सकते हैं… पर ये राज्य
(मैं खूब नाचा श्रीरामलला के सामने – हनुमान) दासोहम कौशलेन्द्रस्य…(वाल्मीकि रामायण) भरत भैया ! मैं आ गया था विद्या अध्ययन
(बचपन में मेरी माँ मुझे रामकथा सुनाती थीं – हनुमान) कल्प भेद हरि चरित सुहाये…(रामचरितमानस) चलो गोवर्धन हरि जी !
((अन्तिम पोस्ट))।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधे श्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री चैतन्य–शिक्षाष्टक प्रमोद्भवतिहर्षेर्षोद्वेगदैन्यार्तिमिश्रितम्।लपितं गौरचन्द्रस्य भाग्यवद्भिर्निषेव्यते।। महाप्रभु श्री गौरांगदेव ने संन्यास लेने
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु के वृन्दावनस्थ छ: गोस्वामिगण रुद्रोअद्रिं जलधिं हरिर्दिविषदो दूरं विहायाश्रिता:भागीन्द्रा: प्रबला अपि प्रथमत:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामठाकुर नरोत्तमदास जी लोकनाथप्रियं धीरं लोकातीतं च प्रेमदम्।श्रीनरोत्तमनामाख्यं तं विरक्तं नमाम्यहम्।। पद्मा नदी
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री श्री निवासाचार्य जी गौरशक्तिधरं सौम्यं सुन्दरं सुमनोहरम्।गोपालनुगतं विज्ञं श्रीनिवासं नमाम्यहम्।। आचार्य श्री
एक बार माँ सीता ने प्रभु श्रीराम से कहा- प्रभु आप हनुमानजी के ज्ञान और बुद्धिमत्ता की प्रशंसा करते रहते