जाकौं वेद रटत ब्रह्मा रटत
जाकौं वेद रटत ब्रह्मा रटत, शम्भु रटत शेष रटत ।नारद शुक व्यास रटत, पावत नहीं पार री ॥ध्रुवजन प्रह्लाद रटत,
जाकौं वेद रटत ब्रह्मा रटत, शम्भु रटत शेष रटत ।नारद शुक व्यास रटत, पावत नहीं पार री ॥ध्रुवजन प्रह्लाद रटत,
*आनन्द तो केवल श्री कृष्ण प्रेम में है।* *कोई भक्त,रसिक जब लम्बी गहरी सांस लेकर..आँखों में प्रेमाश्रु भर कर..आह कृष्ण…हे
पुराण की कथाहनुमानजी के श्वांस से सुन रामधुन, महादेव-पार्वती संग देवलोक उठा झूम रावण के वध के बाद अयोध्यापति श्रीराम
एक व्यक्ति बहुत परेशान था।उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि कृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो।उसने एक कृष्ण
चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और
आजु मैं गाइ चरावन जैहौं।बृन्दावन के भाँति भाँति फलअपने कर मैं खैहौं ।ऐसी बात कहौ जनि बारे,देखौ अपनी भाँति।तनक तनक
राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और कृष्ण का घर छोड़ना गूढ़ कूटनीति।
एक बार की बात है, वृन्दावन में एक संत रहा करते थे. उनका नाम था कल्याण. बाँके बिहारी जी के
*ऐसी लगन लगा दे तू , उठ उठ कर मैं रातों को**कभी मैं पकडू माला को , कभी मैं जोडू
भगवान की प्रत्येक लीला रहस्यों से भरी होती है। वे कब कौन-सा काम किस हेतु करेंगे, इसे