
महात्मा जी द्वारा राधा रानी की पोशाक
बरसाने में एक संत किशोरी जी का बहुत भजन करते थे और रोज ऊपर दर्शन करने जाते राधा रानी के

बरसाने में एक संत किशोरी जी का बहुत भजन करते थे और रोज ऊपर दर्शन करने जाते राधा रानी के

जैसो नहिं कहुँ सुन्योँ न देख्योँ, हौं कह भुजहिं उठाय ।।जाकी नख-मणि चंद्र-चंद्रिकहिं, शंभु समाधिहिं ध्याय ।ताके संग रैन दिन

एक सखी बहुत सुंदर पायल लेकर स्वामिनी जू की सेवा में जाती है। मन में यही भाव आहा ! आज

श्री राधा जहा पर किशोरी कुण्ड है उमराओ का अर्थ है किसी राज्य का अधिपति एक बार श्याम सुंदर जी

“अब मै अपनी आँखें खोलूं …कान्हा जी???…मै यहाँ पेड़ के पीछे और देर खड़ी नहीं रह सकती…” श्रीराधे बरगद

. “.प्रेम की प्रकाष्ठा” दिव्य अलौकिक, अनन्य, अनन्त,आत्मा और परमात्मा का मिलन है। श्री श्यामा श्याम आठों पहर एक दुसरे

जय श्री राधे कृष्ण राधे राधे ये परमात्मा ने मुझ पर कृपा की है। मुझे दो तीन दिन से राधे

कहा जाता है निधिवन के सारी लताये गोपियाँ है जो एक दूसरे कि बाहों में बाहें डाले खड़ी है जब

रमा नाम की एक स्त्री थी जो किसी गांव में रहती थी…5-6 बरस उसकी शादी को हो गए थे लेकिन

एक बार व्यक्ति अपनी समस्या लेकर पास के ही एक संत के पास जाता है, और संत से कहते है,