राधा नाम की महिमा
एक बार प्रेम से कह दो श्री राधे एक संत थे वृन्दावन में रहा करते थे, श्रीमद्भागवत में बड़ी निष्ठा
एक बार प्रेम से कह दो श्री राधे एक संत थे वृन्दावन में रहा करते थे, श्रीमद्भागवत में बड़ी निष्ठा
विश्यामा संग सभी की राधा सच्चिदानंद श्रीकृष्ण की तीनप्रमुख अलौकिक शक्तियाँ,सद से रुक्मणी जीचिद से कालिन्दी (यमुना) जी औरआनंद से
राधा जी के जन्म की सबसे लोकप्रिय कथा यह है कि वृषभानु जी को रावल में एक सुंदर शीतल सरोवर
एक बार ऋषि दुर्वासा बरसाने आये। श्री राधारानी अपनी सखियों संग बाल क्रीड़ा में मग्न थी। छोटे छोटे बर्तनों में
राधे मंजूर हैं खामोशियाँ आपकी,इक नजर देख लूँ बस”चले आइये”। दिन तो कटता नहीं रात बाकी अभी,इक झलक राधे देख
गीताप्रेस गोरखपुर में पूज्य श्रीहरि बाबा महाराज की एक डायरी रखी है उसमें बाबा के द्वारा हस्तलिखित लेख
प्रेमैव गोपरामाणां काम इत्यगमत्प्रथाम |गोपियों का काम-काम नहीं था | उसका नाम काम था, पर वहाँ काम-गन्ध-लेश भी नहीं है
.एक बार श्री कृष्ण दास के मन में इच्छा जागी कि वे निकुंज में “श्री राधा” एवं “श्री राधा रमण”
मैं दासी अपनी राधा कीकरत खवासी जो रुचि पावत ।सूधे वचन न बोलत सपनेहुहरिहू को अँगुठा दिखरावत ॥ब्रह्मानंद मगन सुख
जय श्रीकृष्ण ये वृन्दावन परिक्रमा मार्ग में ठाकुर जी का लीला स्थान है lअगर आप विशुद्ध भाव के साथ यहां