प्रेम आपका अस्तित्व है।
प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते
प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते
(स्कन्द-पुराण से) कृष्ण कृष्णेति कृष्णेति यो मां स्मरति नित्यशः।जलं भित्वा यथा पद्मं नरकादुद्वराम्यहम्।। भगवान् विष्णु ने ब्रह्माजी से कहा- तुमने
हम में से अधिकांश लोग अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं, और दिखाने के लिए इतनी अच्छी और ज्ञान भरी
एक बार एक राज-महल में कामवाली बाई का लड़का खेल रहा था, खेलते खेलते उसके हाथ में एक हीरा आ
श्री यमुनाजी भक्तिका स्वरुप है, और भक्ति के प्रकार भी नव है । श्री यमुनाष्टक भी नव श्लोक में है
आज का प्रभु संकीर्तन।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मेरे सच्चे भक्त वही होते हैं जो कुछ लेने में नही देने
पितृ पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष २९ सितंबर दिन शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से हो रहा है, जो १४ अक्टूबर
भोलेनाथ – परम वैष्णव शिव यानि मंगल या कल्याणकारी, वे शंकर, शम्भू, महादेव, महेश रूद्र आदि नामों से भी पुकारे
जिसमें वैराग्य नहीं वह साधक कैसा
जब बालक जन्मता है, तब वह माँ-बाप, भाई-बहन आदि किसीको भी नहीं पहचानता । उसका किसीके साथ भी सम्बन्ध नहीं
जिस दिन कान्हा खडे हुए मैया के सब मनोरथ पूर्ण हुये आज मैया ने गणपति की सवा मनि लगायी है।