
प्रभु का पावन नाम
परम पिता के नाम से , करते है हम काम |सुखमय जीवन बन रहा, लेकर प्रभु का नाम || कितना

परम पिता के नाम से , करते है हम काम |सुखमय जीवन बन रहा, लेकर प्रभु का नाम || कितना

सखी हों राधा चरण उपासी।नित रहूँ गरवीली मन में, करती नित्त खवासी ॥सेवाकुञ्ज की सघन लता में, सदा बनी सुखरासी

एक महात्मा जंगल से होकर गुजर रहे थे।उन्होंने ऐसा एक दृश्य देखा किउनका हृदय करुणा से भर गया औरआश्चर्य मिश्रित

मेरे प्यारेकई जन्मों का पुण्य जब एकत्रित होकर आता हैजब कहीं जाके जीव श्री ठाकुर जी के दर पहुँच पाता

मेरे प्यारेतुम मेरे हो या नहीं सच बताना मुझेपहले ही इंतिहान ले चुके हो अब और ना सताना मुझेतेरे हर

कैसे कहूं सखी, मन मीरा होता, तो श्याम को रिझा लेता, उन्हे नयनो में समा लेता, ह्रदयराग सुना देता, पर

“जीवन”में”पीछे”देखो”अनुभव” मिलेगा “जीवन में”आगे” देखो तो “आशा” मिलेगी”दायें” बायें”देखो तो “सत्य” मिलेगा “स्वयं”के”अंदर” देखो तो “परमात्मा और “आत्मविश्वास” मिलेगा”मित्रता”और अच्छे

नाम की कमाई🙏
देखो रोते तो दोनों हैं, नाम जपने वाले भी,न जपने वाले भी। पर कारण में बड़ा अंतर है।न जपने वाला

जीवन में सुख-दुःख का चक्र चलता रहता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी से बड़ी विपदा को भी

जयश्रीराधेकृष्ण काजल भगवत प्रेम का नयनो मे लूं डारकंठ मे भक्ति की माला हो प्रभु सुमिरन का हारभक्त कदम वहाँ