
गीता जयन्ती पर 11 बजे ये तीन श्लोक
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्र समवेता युयुत्सव:। मामका: पांडवाश्चैव किमकुर्वत संजय। । भावा श्लोक 22 अन्याश्चिन्तयन्तो माँ ये जना: पर्युपासते |तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्र समवेता युयुत्सव:। मामका: पांडवाश्चैव किमकुर्वत संजय। । भावा श्लोक 22 अन्याश्चिन्तयन्तो माँ ये जना: पर्युपासते |तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्

70+ देशों के प्रतिनिधि 22 जनवरी को अयोध्या आ रहे हैं…अधिकांश बड़े क्रिकेटर, बॉलीवुड वाले आ रहे हैं…अदानी, अंबानी, बिरला

हिन्दू संस्कृति में यह दिन श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतीकात्मक जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि

चारो राजकुमारों और नव-वधुओ का अयोध्या राजमहल में प्रवेश.. करहिं आरती बारहिं बारा। प्रेमु प्रमोदु कहै को पारा।।भूषन मनि पट

हम प्रार्थना देश और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए करे प्रार्थना देश के प्रधान के लिए करे। हे ईश्वर देश

खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड

श्रीरामः शरणं मम।लक्ष्मीनाथसमारम्भां नाथयामुनमध्यमाम्।अस्मदाचार्यपर्यन्तां वन्दे गुरुपरम्पराम्।। स सर्वं सिद्धिमासाद्य ह्यन्ते रामपदं व्रजेत्।चिन्तयेच्चेतसा नित्यं श्रीरामःशरणं मम।।१।। विश्वस्य चात्मनोनित्यं पारतन्त्र्यं विचिन्त्य च।चिन्तयेच्चेतसा

पुराने समय में एक राजा था। राजा के पास सभी सुख-सुविधाएं और असंख्य सेवक-सेविकाएं हर समय उनकी सेवा उपलब्ध रहते

।। श्लोक-शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्।। भावार्थ-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप,

इन्द्र उवाचऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम:।कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम:।।१।। अर्थ-देवराज इन्द्र बोले- भगवती कमलवासिनी को नमस्कार है।