
हर जीव में भगवान, कण कण में भगवान
यह बहुत पुराने समय की बात है । एक गांव में एक सेठजी रहते थे । वह श्रीकृष्णजी के परम
यह बहुत पुराने समय की बात है । एक गांव में एक सेठजी रहते थे । वह श्रीकृष्णजी के परम
करीब 95 साल पहले की बात है । राजस्थान के अलवर इलाके में एक गडरिया भेड़ चराते हुए जंगल में
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे ,कितना अद्भुत दृश्य है
. एक बार की बात है महाभारत के युद्ध के बाद भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन द्वारिका गये पर
पुराने समय में एक आश्रम में गुरु और शिष्य मूर्तियां बनाने का काम करते थे।.मूर्तियां बेचकर जो धन मिलता था,
कई लोग ये पूछते हैं कि श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त तो पूरी कर ही दी थी,
महायुद्ध समाप्त हो चुका था। जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुंब सहित नष्ट हो चुका था। कौशलाधीश राम
होंठो ने आपका ज़िक्र न किया परमेरी आंखे हर पल आपका पैग़ाम देती है।हम दुनियाँ’ से छुपायें कैसेहर शायरी आपका
अर्जुन कपिध्वज कहे जाते हैं। अर्जुन के झंडे पर हनुमान जी विराजते थे। अध्यात्मिक दृष्टि से विचार करने पर विदित
सुन्दर प्रसंग है जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति है। इधर गुरू की आज्ञा से श्री राम पुष्प वाटिका