
*चरण स्पर्श का भाव*
एक भक्त का भगवान के चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँ।भक्त भगवान के चरणों में समर्पित है। कभी शिश
एक भक्त का भगवान के चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँ।भक्त भगवान के चरणों में समर्पित है। कभी शिश
भक्त जितना भगवान के नजदीक होगा भक्त भगवान को बार बार मन ही मन प्रणाम करता है। भक्त का प्रणाम
सभी मानते है कि कोई है जो इस जीवन को चला रहा है।फिर भी हम उसका शुक्रिया करना,उसका नाम लेना
श्रीहरिः सारे जगत् के आत्मा भगवान् श्रीकृष्ण हैं। यह जगत् तभी सुखी होता है, शान्ति पाता है, जब अपनी आत्मा
मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद
जानिए जब कोई आपके पैर छुए तो आपको क्या-क्या करना चाहिए।किसी के पैर छूने का मतलब है उसके प्रति समर्पण
हमारी संस्कृति में जल को देवता और नदियों को मां की सर्वोच्च प्रतिष्ठा प्राप्त है। जल को जीवन की संज्ञा
🙏ॐ🙏 गोपियों की बात सुनकर उद्धव की आँखों से आज आंसू आ गए हैं। उद्धव अब जान गए हैं की
भक्ति की यात्रा बाहर से शुरु होकरभीतर मुड़ती है और ज्ञान की यात्रा आत्म-चितंन से , माने भीतर से ही
1- “श्रवणभक्ति”के आचार्य “महाराज परिक्षित” हैं ।2- “कीर्तन” के आचार्य “श्री शुकदेव जी” हैं ।3- “स्मरण भक्ति” के आचार्य “प्रह्लाद