श्री रामचरित मानस अयोध्या काण्ड
छन्द :
जय श्री सीताराम जी की आप सभी श्रीसीतारामजीके भक्तों को प्रणाम श्री रामचरित मानस अयोध्या काण्डछन्द :अवगाहि सोक समुद्र सोचहिंनारि
जय श्री सीताराम जी की आप सभी श्रीसीतारामजीके भक्तों को प्रणाम श्री रामचरित मानस अयोध्या काण्डछन्द :अवगाहि सोक समुद्र सोचहिंनारि
– श्रीरामचरितमानस ——श्रीराम नाम महिमा ——-नारद जानेउ नाम प्रतापू ।।जग प्रिय हरि हरि हर प्रिय आपू ।नामु जपत प्रभु कीन्ह
विविध जनश्रुतियों एवं कपोल कल्पित तथा मनगढ़न्त कथाओं के आधार पर नित नई कहानियाँ खड़ी होती रहती हैं। इनमें से
चिंतन.. आपके घर में कोई व्यक्ति भक्ति करता है,तो आपके घर में कोई नुकसान नहीं कर सकता.. जब तक विभीषण
गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कोई भी ग्रह , जादू टोना बुरी बला भूत प्रेत और जंतर तंत्र या
रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया और श्रीराम ने कैसे धनुष तोड़ दिया..??
आज भगवान वाल्मीकि जी के पास आए हैं, पूछते हैं, गुरु जी मैं कहाँ रहूँ?वाल्मीकि जी कहते हैं, आप पूछते
लंका में हनुमानजी ने आगे बढ़ते हुए एक छोटी कुटिया देखी। “श्रीराम” का नाम कुटीर की दीवार पर अंकित था,
देखा भरत विसाल अति निसिचर मन अनुमानि।बिनु फर सायक मारेउ चाप श्रवन लगि तानि।। सामान्य जनों की तरह, हनुमानजी को
।। श्री रामाय नमः ।।एक दिन जब श्रीरघुनाथ जी एकांत में ध्यानमग्न थे, प्रियभाषिणी श्री कौसल्या जी ने उन्हें साक्षात्